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सन 1911 में स्थापित सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया पहला भारतीय वाणिज्यिक बैंक था जिसका पूर्ण स्वामित्व और प्रबंधन भारतीयों के हाथ में था. बैंक के संस्थापक सर सोराबजी पोचखानावाला ने इस बैंक की स्थापना करते हुए अपने स्वप्न को साकार किया. सही अर्थों में स्वदेशी बैंक के पहले अध्यक्ष सर फिरोजशाह मेहता थे. वास्तव में सर सोराबजी पोचखानावाला इस बैंक की स्थापना से इतने गौरवान्वित हुए कि उन्होंने सेन्ट्रल बैंक को राष्ट्र की संपत्ति और देश की संपदा घोषित कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि सेन्ट्रल बैंक जनता के विश्वास पर टिका है और यह जनता का अपना बैंक है.

पिछले 99 वर्षों के इतिहास में बैंक ने कई उतार चढाव देखें और अनगिनत चुनौतियों का सामना किया. बैंक ने प्रत्येक आशंका को सफलतापूर्वक व्यावसायिक अवसर में बदल दिया और बैकिंग उद्योग करके अपने समकक्षों से उत्कृष्ट रहा. सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने कइ अभिनव और अनुपम बैंकिंग गतिविधियों का शुभारंभ किया और ऐसी ही कुछ सेवाओं का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है :

1921 समाज के सभी वर्गो में बचत/किफायत की आदत डालने के लिए घरेलू बचत सुरक्षित जमा योजना का प्रारंभ
1924 बैंक की महिला ग्राहकों को सेवा प्रदान करने लिए विशिष्ट महिला विभाग की स्थापना
1926 सुरक्षित जमा लॉकर सुविधा और रुपया यात्रा चेक
1929 निष्पादक एवं न्यासी विभाग की स्थापना
1932 जमाराशि बीमा सुविधा योजना
1962 आवर्ती जमा योजना

तत्पश्चात वर्ष 1969 में बैंक का राष्ट्रीयकरण होने के बाद भी सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने विभिन्न अभिनव बैंकिंग सेवाएं आरंभ करना जारी रखा.

1976 मर्चेंट बैंकिंग कक्ष की स्थापना
1980 बैंक के क्रेडिट कार्ड सेंट्रल-कार्ड का प्रारंभ
1986 प्लैटिनम जुबली मनी बैंक जमा योजना
1989 आवासीय सहायक कं. सेन्ट बैंक होम फायनेंस लि. का शुभारंभ
1994 बाहरी चेकों की शीघ्र वसूली के लिए त्वरित चेक वसूली सेवा(क्यू. सी. सी.) तथा तत्काल सेवा आरंभ की गयी.

साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुरुप कृषि तथा लघु उद्योग जैसे प्रमुख क्षेत्रां के साथ-साथ मध्यम एवं बडे उद्योगों को प्रोत्साहित करने में सेन्ट्रल बैंक लगातार सक्रिय भूमिका निभा रहा है. शिक्षित युवाओं में रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए बैंक ने कई स्वरोजगार योजनाएं आरंभ की है.
सार्वजनिक क्षेत्रा के बैंकों में से सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया को वास्तविक अर्थों में अखिल भारतीय बैंक कहा जा सकता है क्योंकि 29 में से 27 राज्यों में तथा 7 में से 6 केन्द्रशासित प्रदेशों में इसकी शाखाओं का विस्तृत नेटवर्क है. देश के एक छोर से दूसरे छोर तक स्थित अपनी 4695 शाखाओं 26 विस्तार पटलों के विस्तृत नेटवर्क के कारण सार्वजनिक क्षेत्रा के बैंकों में सेन्ट्रल बैंक का एक अपना विशिष्ट स्थान है.
सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया की विस्तृत सेवाओं के प्रति ग्राहकों के विशवास का अनुमान आई.सी.आई.सी.आई., आई.डी.बी.आई., यू.टी.आई., एफ.आई.सी., एच.डी.एफ.सी. जैसे कार्पोरेट गाहकों की सूची और देश के प्रमुख कार्पोरेट घ्ररानों से लगाया जा सकता है जो बैंक के ग्राहक है.